क्रिया और क्रिया विशेषण किसे कहते हैं?

क्रिया और क्रिया विशेषण

क्रिया एवं क्रिया विशेषण दोनो को ही जानना बहुत अवश्य है। जानेंगे क्रिया और क्रिया विशेषण किसे कहते हैं? (Kriya & kriya visheshan kise kahate hain) एवं इनके भेदों के साथ हर तरह से मुख्य मुख्य बातें। तो इसे पूरा पढ़ें एवं समझ आए तो दोस्तों को भी भेजे!

यदि प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से देखे तो इन जैसे टॉपिक को हिंदी में शामिल कर लिए जाते हैं। एवं मुख्य प्रश्न पूछे जा सके हैं।

इसलिए आखिरी के मुख्य बिंदुओ को एवं अंत तक अवश्य पढ़ें।

हम लेख को शुरू करे उससे पहले की ही बात बता दें, की पहले हम जायेंगे क्रिया एवं इसके भेद फिर क्रिया विशेषण की परिभाषा (Definition in hindi) समझते हुए लेख को पूरा कंप्लीट जानेंगे।

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तो दोस्तो अब हम किसी भी तरह का समय न लेकर सीधे मुख्य बिंदु पर आते हैं।क्रिया एवं क्रिया विशेषण दोनो को ही जानना बहुत अवश्य है। जानेंगे क्रिया और क्रिया विशेषण किसे कहते हैं? (Kriya & kriya visheshan kise kahate hain) एवं इनके भेदों के साथ हर

क्रिया किसे कहते हैं Kriya kise kahate hain

Kriya ki paribhasha: वे शब्द,जो कि हमें किसी काम के करने या होने का बोध कराएं, उन्हें क्रिया कहते हैं। अर्थात् जिन शब्दों से किसी कार्य का होना या होना व्यक्त हो रहा हो, उन को क्रिया कहते हैं। जैसे: लिया, खा रहा, रोया, लिखना, गया, पीना आदि।

क्रिया के उदाहरण Kriya ke udaharan

क्रिया के कुछ विशेष उदहारण (Example) वाक्य सहित नीचे बता रहें है-

  • श्वेता गाना गाती है।
  • सपना पुस्तक पढ़ती है।
  • दीक्षा नाचती है।
  • कछुआ धीरे धीरे चलता है।
  • होटल में खाना खाता है।
  • राम पाढशाला जाता है।
  • चिता बहुत तेज़ दौड़ता है।
  • साइकिल चलती है।
  • पक्षी आकाश में उड़ते हैं।

ऊपर के वाक्यों में क्रम से गाती है, पढ़ती है, नाचती है, चलती है, खाता है, जाता है, दौड़ता है, चलता है, उड़ता है इत्यादि शब्द किसी काम के होने का बोध दे रहे, इसलिए ये क्रिया हैं।

आपको बता दें की क्रिया को पहचाने हेतु सामान्य रूपो में देखें तो कुछ धातुओं के अंत में ना जुड़ जाता है।

जैसे आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना क्रियाओं में ना जुड़ा है जबकि इनमें क्रमश: आ, जा, पा, खो, खेल, कूद धातुएँ हैं।

आपको बता दें की शब्दकोश के तहत जो क्रिया का रूप पाते है, ना जड़ा हुआ रहता हैं। उससे ना हटा देने से धातु शेष प्राप्त होती हैं।

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क्रिया के भेद Kriya ke bhed

कर्म, जाति तथा रचना, संरचना, प्रयोग जैसे कई पैमानों की दृष्टि के तहत अलग अलग तरह से क्रिया को पहचाना और उसे भेद भी भिन्न है जिन्हे हम नीचे क्रम से करेंगे –

कर्म, जाति तथा रचना के अंतर्गत क्रिया के मुख्यतः दो भेद-
1. अकर्मक क्रिया
2. सकर्मक क्रिया

1. अकर्मक क्रिया Akarmak kriya

वह क्रिया जिस का फल कर्ता को स्वयं पड़ता है, ऐसी क्रिया अकर्मक क्रिया होती है। इस क्रिया में कर्म की अनुपस्थिति या अभाव होता है। जैसे श्वेता पढ़ती है।

इस वाक्य में पढ़ने का फल श्वेता पर ही पड़ रहा है। इसलिए पढ़ती है, अकर्मक क्रिया है।

अकर्मक क्रिया के कुछ उदाहरण वाक्य

  • दीक्षा लिखती है।
  • सांप रेंगता है।
  • महक हंसती है।

2. सकर्मक क्रिया Sakarmak kriya

वह क्रिया जिसमें कर्म का होना आवश्यक हैं। उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। इस तरह की क्रियाओं का असर कर्ता पर पड़ने की बजाय कर्म पर होगा है। सकर्मक अर्थात कर्म के साथ। जैसे – ऊंट पानी पीता है।

इसमें पीता है (क्रिया) का फल कर्ता पर पड़ने की बजाय कर्म पानी पर पड़ रहा है। यथार्थत: यह सकर्मक क्रिया है।

सकर्मक क्रिया के कुछ उदाहरण वाक्य

  • बंदर फल खाते हैं।
  • ड्राइवर गाड़ी चलाता है।
  • वाहन चालक कार चलाता हूँ।
  • महिला सब्जी बनाती है।
  • दीपचंद सामान लाता है।

ऊपर के कुछ वाक्य के उदाहरण में क्रमश: यह देखा गया है ही क्रिया का फल कर्ता पर पढ़ने के बजाय कर्म हेतु सज्ज हैं। यथार्थ्त: ऐसे सभी वाक्यों को सकर्मक क्रिया हेतु हैं

अब आपको हम बता दें की सकर्मक क्रिया के भी कुछ अलग भेद होते है जिन्हे हम नीचे क्रम से बता रहे –

सकर्मक क्रिया के भेद
a. एककर्मक क्रिया
b. द्विकर्मक क्रिया

a. एककर्मक क्रिया– जिस क्रिया में केवल एक तरह के कर्म की संभावना हो, उस क्रिया को एककर्मक क्रिया कहते हैं । जैसे- हनी बाइक चलाता हैं।
ऊपर के उदाहरण में चलाता(क्रिया) का बाइक(कर्म) एक ही है। इसलिए यह एककर्मक क्रिया के तहत आएगा।

b. द्विकर्मक क्रिया– जिस क्रिया के तहत दो कर्म होते हैं उस क्रिया को द्वि-कर्मक क्रिया बोलते हैं। पहला कर्म सजीव होता है जबकि दूसरा कर्म निर्जीव होता है।
जैसे: राम ने सीता को गिफ्ट दिया। इस उदाहरण में देना क्रिया के दो कर्म है सीता एवं GIFT। अतः यह द्वि-कर्मक क्रिया का उदाहरण है।

संरचना के आधार पर क्रिया के चार भेद होता है
1. प्रेरणार्थक क्रिया
2. सयुंक्त क्रिया
3. कृदंत क्रिया
4. नामधातु क्रिया

1. प्रेरणार्थक क्रिया (Prernatmak kriya): जिस क्रिया से यह ज्ञात या ऐसा ज्ञान प्राप्त हो कि कर्ता स्वयं काम करने की बजाय कोई अन्य काम करा रहा है। जैसे- दिखवाना, पढवाना, मरवाना लिखवाना, बोलवाना आदि।

2. सयुंक्त क्रिया (Sanyukt kriya): ऐसी क्रिया हमें ही कोई अन्य दो क्रियाओं के परस्पर सयुक्त होकर बनाती हैं। तो वह सयुंक्त क्रिया होती है। जैसे – दे दिया, ले लिया, मिल गया, खा लिया, चल दिया, दे गया, पी लिया, जान गया, दे दिया आदि।

3. कृदंत क्रिया (Kridant kriya): ऐसी प्रमुख क्रियाएं जिनमे प्रत्यय लगाकर या जोड़कर नए शब्दों या नए क्रियाओं कर रूप को प्राप्त किया जा रहा हो, वह क्रिया कृदंत किया है। जैसे कि दौड़ना, भागना, दिखाना, मिलना आदि।

4. नामधातु क्रिया (Namdhatu kriya): नाम धातु क्रिया ऐसी है, जो क्रिया के अलावा किन्हीं दूसरे या अन्य शब्दों जैसे संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम इत्यादि के बोध प्राप्त करें, वह नामधातु क्रिया हैं। जैसे कि – अपनाना, ठुकराना, गर्माना आदि।

प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के भेद

प्रयोग की दृष्टि के तहत क्रिया के दो प्रकार है:
1. रूढ़, और
2. यौगिक।

क्रिया विशेषण किसे कहते हैं? Kriya visheshan kise kahate hain

परिभाषा(Definition in Hindi)

Paribhasha: ऐसे शब्द जिनके द्वारा क्रिया वाले शब्दों की विशेषता का पता चले या विशेषता स्वरूप दिखाई पढ़ें, उन्हें क्रिया- विशेषण कहते हैं।

या

क्रिया विशेषण, क्रिया की विशेषता दर्शाते हैं।
Example: कछुआ धीरे-धीरे चलता है।

ऊपर बताए वाक्य में चलता है कटिया का बोध हो रहा लेखिन धीरे धीरे शब्द इस क्रिया की विशेषता बताता हुआ यह वाक्य पूर्ण कर कर रहा है।

इसलिए यह हम क्रिया विशेषण शब्द कहेंगे।

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क्रिया विशेषण के भेद/प्रकार Kriya visheshan ke bhed

क्रिया विशेषण के चार भेद है जिन्हे हम नीचे क्रम में सजा रहे है. जिसके पश्चात उन्हें विस्तार से जानने की चेष्टा करेंगे ;

  • 1. स्थानवाचक
  • 2. रीतिवाचक
  • 3. कालवाचक
  • 4. परिमाणवाचक

 

1. स्थानवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के संपादित होनेवाले स्थान या जगह का बोध कराएं, उन शब्दों की स्थान-वाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे :- कहाँ, यहाँ, जहाँ, वहाँ, सामने, ऊपर, आगे, नीचे, बाहर, भीतर आदि ।

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2. रीतिवाचक क्रिया विशेषण

वह क्रिया स्वरूप या शब्द जो किसी तरीके को या किसी रीति को दर्शाने का बोध या मतलब बताए, वह रीतिवाचक क्रिया विशेषण होती है।

जैसे: जल्दी, धीरे-धीरे, रोज़, हर दिन आदि।

3. कालवाचक क्रिया विशेषण

वह क्रिया स्वरूप या शब्द जो किसी समय को या किसी काल को दर्शाने का बोध या मतलब बताए,कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे: अभी – अभी, परसों, कभी, अब तक, पहले, पीछे, बार-बार।

4. परिमाणवाचक क्रिया विशेषण

वह क्रिया स्वरूप या शब्द जो किसी निश्चित संख्या को या किसी परिमाण जैसे स्वरूप दर्शाने का बोध या मतलब बताए, परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे: बहुत, अधिक, सर्वथा, कुछ, यथेष्ट, इतना, अधिकाधिक पूर्णतया, उतना, कितना,थोड़ा, काफ़ी, केवल, तिल-तिल, थोड़ा-थोड़ा, एक-एक करके, आदि।

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समापन: दोस्ती आज अपने इसे यह तक पूर्ण पढ़ा उस हेतु आपको विश्वास दिलाते हैं कि यदि अब आप कोई इन दो क्रिया और क्रिया विशेषण से संबंधित ज्ञान अवश्य प्रदान ही गया होगा। ऐसे ही कई हिंदी के टॉपिक को श्रृंखला में नीचे कर रहे है जिन्हे आप आसानी से एवं सरलता से समझ बनाकर पढ़ें! और हम सोशल मीडिया पर and गूगल में खोजने के लिए hindizy लिखें।