काव्य के भेद

अरे हां, काव्य के भेद (kavya ke bhed) का ज्ञान आज आपको इस पेज पर देखने को मिलेगा। हम कोशिश करते है की आप लोगों को रेगुलर हिंदी संबंधित लेख भेजते रहें। इसलिए आपके बार कोई अन्य टॉपिक सुझाव हो तो कॉमेंट में लिख देना।

तो चलिए अब आपको हम काव्य भेद वाले इसे पोस्ट में मुख्य भाग की ओर आगे बढ़ें।

काव्य के भेद – kavya ke bhed

स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं –

श्रव्यकाव्यदृश्यकाव्य

1. श्रव्यकाव्य

श्रव्य काव्य के भी दो भेद होते हैं –

प्रबन्ध काव्यमुक्तक काव्य

प्रबंध काव्य के दो भेद होते हैं –

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महाकाव्यखण्डकाव्य

2. दृश्य काव्य

जिस काव्य की आनंदानुभूति अभिनय को देखकर और पात्रों से कथोप कथन को सुन कर होती है। उसे दृश्य काव्य कहते हैं।

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शैली के अनुसार काव्य के भेद:

1. पद्य काव्य

2. गद्य काव्य

3. चंपू काव्य

FAQs

काव्य किसे कहते है:

जिसमें किसी कहानी अथवा मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है।

पद्य काव्य किसे कहते हैं 

इसमें किसी कथा का वर्णन काव्य में किया जाता है, जैसे गीतांजलि

मुक्तक काव्य क्या है

इसमें केवल एक ही पद या छंद स्वतंत्र रूप से किसी भाव या रस अथवा कथा को जाहिर करने में समर्थ होता है। गीत कवित्ता दोहा आदि मुक्तक होते हैं।

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प्रबंध काव्य के कितने भेद होते हैं

प्रबंध काव्य के दो भेद होते हैं: महाकाव्य एवं खण्डकाव्य

निष्कर्ष :

आपने आज इसे पढ़ा जिसमे काव्य के भेद शामिल किए गए थे। आपको पोस्ट किसी लगी हम तक पहुंचाए। हमारी वेबसाइट पर संज्ञा के बारे में लेख मौजूद है आप उसे भी पढ़ें – संज्ञा किसे कहते है।