- व्यर्थ — अव्यर्थ | व्यर्थ — सार्थक
- करतल — पदतल | करार — बेकरार
- अपमान — सम्मान | अपेक्षा — उपेक्षा
- चोर — पुलिस | चोर — साधु
- नास्तिक — आस्तिक | निंघ — वंघ
- क्षुद्र — महान | खंडन — मंडन
- मधुर — कटु | मनुज — दनुज
- लंबित — त्वरित | लकीर — बिंदु
- लोभ — संतोष | लोभी — संतोषी
- नापाक — पाक | नाम — अनाम
- ईर्ष्या — प्रेम | ईश — अनीश
- अनुराग — विराग | अनुलोम — प्रतिलोम
- अक्सर — कभी कभा | अगम — सुगम
- ग्रामीण — शहरी | ग्राम्य — शिष्ट
- सदाशय — दुराशय | सद्वृत — दुवृत
- व्यवहारिक — अव्यवहारिक | व्यवहारिक — अव्यावहारिक
- कपाल — पद | कपूत — सपूत
- ओजस्वी — निस्तेज | ओट — प्रकट
- चढाव — उतार | चढ़ाव — उतार
- चिन्मय — जड़ | चिन्मय — जड़ , अचिन्मय
- साहस — साहसहीन | साहसी — कायर
- पण्डित — मुर्ख | पतन — उत्थान
- आधुनिक — प्राचीन | आधुनिक — बहुसंख्यक
- तरुण — वृद्ध | ताना — भरना
- जेय — अजेय | जोड़ — घटाव
- हास — रुदन | हास्य — रुदन
- सादर — निरादर | साधु — असाधु
- विषम — सम | विषाद — आहद
- घटाव — जोड़ | घटित — अघटित
- विकास — ह्रास | विकीर्ण — संकीर्ण
- अंतर्मुखी — वहिर्मुखी | अंदरूनी — बाहरी
- आगामी — विगत | आग्रह — अनाग्रह
- गलत — सही | गहरा — उथल
- राजा — रानी , रंक | रात — दिन
- एकता — अनेकता | एकत्र — विकर्ण
- परिश्रम — विश्राम | पवित्र — अपवित्र
- दुर्भाग्य — सौभाग्य | दुर्भाव — सद्भाव
- दुर्लभ — सुलभ | दुश्यकाव्य — श्रव्यकाव्य
- संतोष — असंतोष | संतोष — संतोष
- निरामिष — सामिष | निराशा — आशा
- ज्योति — तम | ज्योतिर्मय — तमोमय
- आंकुचन — प्रसारण | आकर्ष — विकर्ष
- सूक्ष्म — स्थूल | सूना — भरा
- श्रीगणेश — इतिश्री | श्र्वेत — श्याम
- आलोक — अंधकार | आवश्यक — अनावश्यक
- क्षर — अक्षर | क्षुद्र — महत
- औंधाना — सीधा करना | औगत — सुगत
- औलाद — वालिद | औवल — आखिर
- तम — ज्योति | तरल — ठोस
- प्राचीन — नवीन | प्राण — निष्प्राण
- उऋण — ऋण | उग्र — सौम्य
- छली — निश्छल | छाँह — धूप
- सुकर्म — कुकर्म | सुकाल — अकाल
- अति — अल्प | अतिथि — आतिथेय
- चाह — अनचाह | चाहा — अनचाहा
- शान्ति — क्रान्ति | शासक — शासित
- षंडत्व — पुंसत्व | षुद्र — विशाल
- वन — मरु | वन — मरू
- पक्ष — विपक्ष | पठित — अपठित
- दानी — कंजूस | दास — स्वामी
- दुर्दांत — शांत | दुर्दान्त — शांत
- खुला — बंद | खुला — बन्द
- अस्ताचल — उदयाचल | अस्वस्थ — स्वस्थ
- उन्नयन — अवनयन | उन्मीलन — निमीलन
- लफंगा — भला शरीफ़ | लबालब — खाली
- ओतप्रोत — विलग | औंधा — सीधा
- सुबह — शाम | सुबुद्धि — कुबुद्धि
- उत्कृष्ट — निकृष्ट | उत्तम — अधम
- निश्छल — छली | निषिद्ध — विहित
- जल्द — देर | जल्दी — देरी
- विपद — सम्पद | विपन्न — संपन्न
- औघर — सुघर | औचक — अक्सर
- गहरा — छिछला | गाँव — शहर
- चालाक — बेवकूफ | चालू — सुस्त , बंद
- गरल — सुधा | गरीब — अमीर
- तपन — ठंडक | तम — आलोक
- समष्टि — व्यष्टि | समस्या — समाधान
- स्वामी — सेवक | स्वीकृत — अस्वीकृत
- प्रजा — राजा | प्रज्ञ — मूढ़
- दाता — सूम | दानव — देव
- जाति — विजाति | जातीय — विजातीय
- खरा — खोटा | खरीद — बिक्री
- प्रसाद — अवसाद | प्रसाद — विषाद
- ओढना — बिछाना | ओढ़ना — बिछाना
- इच्छा — अनिच्छ। | इच्छा — अनिच्छा
- अनुपस्थिति — उपस्थिति | अनुमति देना — मना करना
- विद्या — अविद्या | विद्वान — मूर्ख
- सुशील — दुःशील | सुशील — दुशील
- बन्धन — मुक्ति | बर्बर — सभ्य
- संघटन — विघटन | संजीव — निर्जीव
- क्षणिक — शास्वत | क्षम — अक्षम
- अनभिज्ञ — भिज्ञ | अनागत — आगत
- वार्थ — निस्वार्थ | वास्तविक — अवास्तविक
- ग्राह्य — त्याज्य | घंटा — घंटी
- दुष्ट — सज्जन | दूषित — स्वच्छ
- ग़दर — शांति | गद्य — पद्य
- ठोस — तरल | डरपोक — निडर , साहसी
- क्रुद्ध — शान्त | क्रूर — अक्रूर
- रहित — सहित | राक्षस — देवता
- सहयोगी — प्रतियोगी | सहस — कठिन