- रात — साय | रात्रि — दिवस
- अतिवृष्टि — अनावृष्टि | अतुकान्त — तुकान्त
- बंधन — मुक्ति | बच्चा — बूढ़ा
- सुमति — कुमति | सुर — असुर
- लुप्त — व्यक्त | लेन — देन
- औपन्यासिक — अनौपन्यासिक | औरत — मर्द
- क्षमा — दण्ड | क्षम्य — अक्षम्य
- रूप — कुरूप | रूपवान् — कुरूप
- अत्यधिक — अत्यल्प | अथ — इति
- ऋणात्मक — धनात्मक | ऋणी — उऋण
- गुण — अवगुण | गुण — दोष
- लम्बोदरा — छोटा | लम्हा — घंटा
- दक्षिण — उत्तर , वाम | दक्षिण — वाम
- देवता — राक्षस | देवत्व — दानवत्व
- लगाव — हटाना | लग्न — कुलग्न
- उदात्त — अनुदात्त | उदार — अनुदार
- अमावस्या — पूर्णिमा | अमावस्या — प्रूर्णिमा
- सक्रिय — निष्क्रय | सक्रिय — निष्क्रिय
- गर्म — ठंडा | गर्मी — सर्दी
- सभय — निर्भय | सभ्य — असभ्य
- आभ्यन्तर — बाह्म | आमिष — निरामिष
- ताना — भरनी | ताप — शीत
- मूक — वाचाल | मृत — जीवित
- निर्जीव — सजीव | निर्दय — सदय
- खेद — प्रसन्नता | खोलना — बांधना
- अरूचि — सुरूचि | अर्जन — वर्जन
- पालक — संहारक | पाश्चत्य — पौवार्त्य
- निजी — सार्वजनिक | निडर — कायर
- आदि — अंत | आदि — अनादि
- विरागी — रागी | विरोध — अवरोध
- सुपात्र — कुपात्र | सुपुत्र — कुपुत्र
- माता — पिता | मान — अपमान
- लरजना — थिरना | ललकना — विलगना
- सुदूर — अदूर | सुधा — गरल
- घोषित — अघोषित | चंचल — स्थिर
- कबूलना — नकारना | कभी — कभी
- कठिन — सरल | कठिनाई — सरलता
- आग्रह — दुराग्रह | आग्रही — दुराग्रही
- सुधा — गर्ल | सुना — भरा
- उद्यमी — निरुद्यम | उधार — नकद
- औचित्य — अनौचित्य | औद्त्य — अनौदत्य
- लय — बेलय | लयात्मक — अलायात्मक
- नख — शिख | नगद — उधार
- शोषण — पोषण | श्यामा — गौरी
- उतर — दक्षिण | उतार — चढ़ाव
- फल — निष्फल | फायदा — नुकसान
- निर्माण — विनाश | निर्लज — सलज्ज
- निर्मल — मलिन | निर्माण — ध्वंस
- ललाई — सफेदी | ललाई — सफ़ेदी
- तारीफ — शिकायत | तिक्त — मधुर
- लायक — नालायक | लिखित — अलिखित
- जल — थल | जल — स्थल
- अनाहूत — आहुत | अनाहूत — आहूत
- सबल — निर्बल | सबाध — निर्बाध
- अजल — निर्जल | अजीब — अनोखा
- तीव्र — मन्द | तुकांत — अतुकांत
- स्वप्न — जागरण | स्वर्ग — नरक
- उद्यम — निरुद्यम | उद्यमी — आलसी
- प्राकृतिक — कृत्रिम | प्राची — प्रतीची
- कठोर — कोमल | कडवा — मीठा
- सहज — कठिन | सहयोग — असहयोग
- ऊपर — नीचे | ऋजु — कुटिल
- कर्म — निष्कर्म | कर्मठ — अकर्ममण्य
- लटकना — उठना | लटपट — सही
- अधर्म — सध्दर्म | अधिक — न्यून
- उपमेय — अनुपमेय | उपयुक्त — अनुपयुक्त
- ओजस्विता — ओजहीनता | ओजस्वी — ओजहीन
- व्यक्त — अव्यक्त | व्यय — आय
- वृष्टि — अनावृष्टि | वृहत — लघु
- छल — निश्छल | छली — निश्चल
- उर्ध्व — अधो | उर्ध्व — निम्न
- कृतज्ञ — कृतघ्न | कृत्रिम — प्रकृत
- योग — वियोग | योगी — भोगी
- संन्यासी — गृहस्थ | संबंध — असंबंध
- शिष्य — गुरु | शीत — उष्ण
- आर्द्र — शुष्क | आलस्य — स्फूर्ति
- कंटक — पुष्प | कंठस्थ — विस्मरण
- मसृण — अमानवीय | महात्मा — दुरात्मा
- बैर — प्रीति | बैर — मित्र , दोस्त
- अंत — अनंत | अंतर — बाह्य
- सर्द — गर्म | सलज्ज — निर्लज्ज
- शुष्क — आद्र | शुष्क — आर्द्र
- सुस्त — चुस्त | सूक्षम — स्थूल
- खगोल — भूगोल | खद्य — अखाद्य
- युद्ध — शान्ति | येष्ठ — कनिष्ठ
- राजतन्त्र — जनतन्त्र | राजा — रंक
- गणतन्त्र — राजतन्त्र | गणनीय — अगणित
- अतरंग — बाहिरी | अतल — वितल
- उदय — अस्त | उदयाचल — उस्ताचल
- आस्था — अनास्था | आहान — विसर्जन
- सन्धि — विग्रह | सन्मार्ग — कुमार्ग
- उपयोग — दुरूपयोग | उपयोगी — अनुपयोगी
- यीश — अनीश | युज्य — बिछोह
- संगत — असंगत | संग्रह — त्याग
- कलंक — निष्कलंक | कलकल — शांत
- बालक — वृद्ध | बासी — ताजा
- गृहस्थ — संन्यासी | गृहस्थ — सन्यासी
- संग — निःसंग | संगठन — विघटन
- लगाना — हटाना | लगाव — दुराव
- अर्थ — अनर्थ | अर्थी — प्रत्यर्थी