विशेष्य किसे कहते हैं

विशेष्य: संज्ञा की विशेषता बताने वाला शब्द

विशेष्य शब्द वे होते हैं जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। वे संज्ञा या सर्वनाम को और अधिक स्पष्ट और विशिष्ट बनाते हैं। हिंदी व्याकरण में, विशेष्य का उपयोग विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए किया जाता है, जैसे कि रंग, आकार, संख्या, गुणवत्ता, और स्थिति।

विशेष्य के प्रकार:

  1. विशेषण: ये शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता या गुण बताते हैं। उदाहरण के लिए, “लाल रंग,” “बड़ा आकार,” “सुंदर चेहरा,” “मीठा स्वाद,” “पतला आदमी,” “नई किताब,” “पहला स्थान,” आदि।
  2. संख्यावाचक विशेषण: ये शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या बताते हैं। उदाहरण के लिए, “एक,” “दो,” “तीन,” “चार,” “पांच,” “सौ,” “हजार,” “लाख,” “करोड़,” आदि।
  3. सर्वनामवाचक विशेषण: ये शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम को इंगित करते हैं। उदाहरण के लिए, “यह,” “वह,” “ये,” “वे,” “कौन,” “क्या,” “किसका,” “किसकी,” “जिसका,” “जिसकी,” आदि।
  4. सापेक्ष विशेषण: ये शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम को किसी अन्य संज्ञा या सर्वनाम से जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, “जो,” “जिस,” “जिन,” “जिनकी,” “जिसका,” “जिसकी,” आदि।
  5. निश्चयवाचक विशेषण: ये शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम को निश्चित करते हैं। उदाहरण के लिए, “ही,” “यही,” “वही,” “वेही,” “सभी,” “पूरा,” “सारा,” “सब,” “कुछ,” “कई,” “अनेक,” आदि।

विशेष्य का प्रयोग:

  1. विशेष्य आमतौर पर संज्ञा या सर्वनाम से पहले आते हैं। उदाहरण के लिए, “लाल रंग,” “बड़ा आकार,” “सुंदर चेहरा,” “मीठा स्वाद,” “पतला आदमी,” “नई किताब,” “पहला स्थान,” आदि।
  2. कुछ विशेष्य संज्ञा या सर्वनाम के बाद भी आ सकते हैं। उदाहरण के लिए, “आदमी पतला,” “किताब नई,” “स्थान पहला,” आदि।
  3. विशेष्य क्रिया विशेषण के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, “वह तेज़ी से दौड़ा।”

विशेष्य का महत्व:

विशेष्य भाषा को अधिक स्पष्ट, सटीक और प्रभावी बनाते हैं। वे संज्ञा या सर्वनाम को और अधिक विशिष्ट बनाते हैं और वाक्य में अतिरिक्त जानकारी प्रदान करते हैं। विशेष्य के बिना, भाषा अस्पष्ट और समझने में मुश्किल होगी।

इसे भी पढ़ें : वाच्य किसे कहते हैं

निष्कर्ष:

विशेष्य हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं और भाषा को अधिक स्पष्ट, सटीक और प्रभावी बनाते हैं।