सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

सकर्मक क्रिया: परिभाषा और उदाहरण

सकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है जो वाक्य में कर्म की अपेक्षा रखती है। कर्म वह संज्ञा या सर्वनाम होता है जिस पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है।

उदाहरण:

  • लड़के ने गेंद फेंकी।

इस वाक्य में, “फेंकी” क्रिया है। “गेंद” कर्म है क्योंकि क्रिया “फेंकी” का प्रभाव “गेंद” पर पड़ता है।

सकर्मक क्रिया की पहचान करने के तरीके:

  • वाक्य में कर्म ढूंढें: यदि वाक्य में कोई कर्म है, तो क्रिया सकर्मक हो सकती है।
  • क्रिया से प्रश्न पूछें: क्रिया से “क्या?” या “कौन?” पूछें। यदि उत्तर कर्म है, तो क्रिया सकर्मक है।

उदाहरण:

  • लड़के ने क्या फेंका?

उत्तर: गेंद (कर्म)

  • लड़की ने किसे देखा?

उत्तर: लड़के को (कर्म)

सकर्मक क्रिया के कुछ उदाहरण:

  • खाना
  • पीना
  • लिखना
  • पढ़ना
  • बोलना
  • सुनना
  • देखना
  • करना
  • बनाना
  • तोड़ना

अकर्मक क्रिया:

अकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है जो वाक्य में कर्म की अपेक्षा नहीं रखती है।

उदाहरण:

  • लड़का हँस रहा है।

इस वाक्य में, “हँस रहा है” क्रिया है। कोई कर्म नहीं है क्योंकि क्रिया का प्रभाव किसी भी संज्ञा या सर्वनाम पर नहीं पड़ता है।

अकर्मक क्रिया के कुछ उदाहरण:

  • सोना
  • जागना
  • रोना
  • हँसना
  • दौड़ना
  • उड़ना
  • बैठना
  • खड़ा होना

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निष्कर्ष:

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया, दोनों ही हिंदी व्याकरण में महत्वपूर्ण हैं। क्रिया की पहचान करने के लिए, यह जानना आवश्यक है कि क्रिया कर्म की अपेक्षा रखती है या नहीं।