मात्रा किसे कहते हैं

मात्रा क्या है?

हिंदी वर्णमाला में, स्वरों के उच्चारण की अवधि को मात्रा कहा जाता है। मात्रा स्वर की ध्वनि को लंबा या छोटा करती है।

मात्रा के प्रकार:

हिंदी भाषा में तीन प्रकार की मात्राएं हैं:

  1. ह्रस्व मात्रा: यह मात्रा स्वर को छोटा उच्चारण करती है। ह्रस्व मात्रा के लिए कोई चिन्ह नहीं होता है।
  2. दीर्घ मात्रा: यह मात्रा स्वर को लंबा उच्चारण करती है। दीर्घ मात्रा को स्वर के ऊपर एक आड़ी रेखा (ā) लगाकर दर्शाया जाता है।
  3. प्लुत मात्रा: यह मात्रा स्वर को ह्रस्व और दीर्घ मात्रा से भी अधिक लंबा उच्चारण करती है। प्लुत मात्रा को स्वर के ऊपर दो आड़ी रेखाएं (āā) लगाकर दर्शाया जाता है।

मात्राओं के उदाहरण:

  • ह्रस्व मात्रा: क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह
  • दीर्घ मात्रा: का, खा, गा, घा, ङा, चा, छा, जा, झा, ञा, टा, ठा, डा, ढा, णा, ता, था, दा, धा, ना, पा, फा, बा, भा, मा, या, रा, ला, वा, शा, षा, सा, हा
  • प्लुत मात्रा: काआ, खाआ, गाआ, घाआ, ङाआ, चाआ, छाआ, जाआ, झाआ, ञाआ, टाआ, ठाआ, डाआ, ढाआ, णाआ, ताआ, थाआ, दाआ, धाआ, नाआ, पाआ, फाआ, बाआ, भाआ, माआ, याआ, राआ, लाआ, वाआ, शाआ, षाआ, साआ, हाआ

मात्रा का महत्व:

मात्रा का उच्चारण और वर्तनी दोनों में महत्वपूर्ण स्थान है। मात्रा के सही उच्चारण से शब्दों का अर्थ स्पष्ट होता है। गलत मात्रा के उच्चारण से शब्द का अर्थ बदल सकता है, जिससे गलतफहमी पैदा हो सकती है।

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निष्कर्ष:

मात्रा हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग है। मात्रा के बारे में जानकारी होना भाषा के सही उच्चारण और वर्तनी के लिए आवश्यक है।