सनई – About Sunn hemp In Hindi
सनई (Sunn hemp; वैज्ञानिक नाम : Crotalaria juncea) एक दलहनी फसल है जो मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन और अफ्रीका में उगाई जाती है। यह एक बहुवर्षीय पौधा है जो 1.5 से 2 मीटर तक ऊँचा होता है। सनई के फूल पीले रंग के होते हैं और ये मई-जून में खिलते हैं। इसके फल छोटे और गोल होते हैं जिनमें बीज होते हैं।
सनई की खेती मुख्य रूप से हरी खाद के लिए की जाती है। यह फसल मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करती है। सनई को हरी खाद के रूप में उपयोग करने के लिए इसे 45 से 60 दिनों की आयु में खेत में पलट दिया जाता है।
सनई की खेती से प्राप्त रेशे का उपयोग रस्सी, टोकरियाँ, चटाई आदि बनाने के लिए किया जाता है। इसके बीजों का उपयोग चिपकने वाले पदार्थ, पशु आहार और तेल के लिए किया जाता है।
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सनई की खेती की विधि
सनई की खेती के लिए अच्छी तरह से सुखी और उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। सनई की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है। बुवाई के लिए 6 से 8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। बुवाई 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर की जाती है।
सनई की फसल को सिंचाई की आवश्यकता होती है। फसल को 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जाती है। सनई की फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है।
सनई की फसल 45 से 60 दिनों में पक जाती है। फसल पकने पर इसे कटाई कर ली जाती है और फिर इसे खेत में पलट दिया जाता है।
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सनई की उपयोगिता
सनई की उपयोगिता निम्नलिखित है:
- हरी खाद के रूप में: सनई की खेती से प्राप्त रेशे का उपयोग रस्सी, टोकरियाँ, चटाई आदि बनाने के लिए किया जाता है। इसके बीजों का उपयोग चिपकने वाले पदार्थ, पशु आहार और तेल के लिए किया जाता है।
- रेशे के लिए: सनई के तने से प्राप्त रेशे का उपयोग रस्सी, टोकरियाँ, चटाई आदि बनाने के लिए किया जाता है। सनई का रेशा बहुत मजबूत और टिकाऊ होता है।
- बीज के लिए: सनई के बीजों का उपयोग चिपकने वाले पदार्थ, पशु आहार और तेल के लिए किया जाता है। सनई के बीजों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
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सनई एक बहुउद्देशीय फसल है जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने और विभिन्न उत्पादों के निर्माण में उपयोगी होती है।