जानिए! सारस के बारे में सब कुछ

सारस – About Crane In Hindi

सारस एक बड़े आकार का पक्षी है जो अपनी लंबी गर्दन और पैरों के लिए जाना जाता है। यह दुनिया भर में पाया जाता है, लेकिन भारत में सबसे आम है। सारस को अक्सर प्रेम और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है।

सारस बड़े और सुंदर पक्षी होते हैं। इनकी लंबाई 1.5 से 2 मीटर तक होती है और पंखों का फैलाव 2.5 से 5 मीटर तक होता है। सारस का रंग ग्रे, सफेद या काला हो सकता है। इनके सिर और गर्दन नंगी होती है और चोंच लंबी और पतली होती है। सारस के पैर लंबे और गुलाबी रंग के होते हैं।

सारस शाकाहारी पक्षी होते हैं। ये घास, बीज, फसलों के डंठल और कीड़े-मकोड़े खाते हैं। सारस एक सामाजिक पक्षी है। ये झुंड में रहते हैं और प्रजनन के मौसम में जोड़े बनाते हैं। सारस के जीवनकाल की अवधि औसतन 30 वर्ष होती है।

सारस भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इन्हें प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। भारतीय मिथकों में सारस को अक्सर भगवान विष्णु के साथ जुड़ा देखा जाता है।

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सारस का आकार और वजन

सारस एक बड़ा पक्षी है। भारतीय सारस की लंबाई औसतन 150 सेंटीमीटर होती है और पंखों का फैलाव 240 सेंटीमीटर तक हो सकता है। इसका वजन 6 से 8 किलोग्राम तक हो सकता है।

सारस का रंग

सारस का सिर और गर्दन का ऊपरी हिस्सा लाल होता है। इसकी गर्दन का निचला हिस्सा और शरीर का रंग ग्रे होता है। इसके पैर लाल होते हैं।

सारस का आहार

सारस कीड़े, मछली, सरीसृप और अन्य छोटे जानवरों को खाता है। यह कभी-कभी पौधों की सामग्री भी खाता है।

सारस का प्रजनन

सारस एक सामाजिक पक्षी है। यह आमतौर पर झुंडों में रहता है। यह एक ही साथी के साथ जीवन भर साथ रहता है। सारस का प्रजनन काल मार्च से मई के बीच होता है। इस दौरान यह एक घोंसले का निर्माण करता है। मादा सारस एक बार में 2 से 5 अंडे देती है। अंडे 30 से 35 दिनों में फूटते हैं।

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सारस का महत्व

सारस को अक्सर प्रेम और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में, सारस को भगवान शिव का वाहन माना जाता है। सारस को एक शुभ पक्षी माना जाता है और इसे अक्सर भारतीय कला और संस्कृति में चित्रित किया जाता है।

सारस का संरक्षण

सारस की आबादी में कमी आ रही है। इसका मुख्य कारण शिकार और आवास का नुकसान है। सारस को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें सारस अभयारण्यों की स्थापना, शिकार पर प्रतिबंध और जागरूकता अभियान शामिल हैं।