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मात्रक और व्युत्पन्न मात्रक: Matrak aur vyutpann matrak kise kahate hain
आप इस पेज पर जानेंगे मात्रक एवं व्युत्पन्न मात्रक के बारे में जानकारी एवं संबंधित ज्ञान को इस पेज पर पाएंगे ।
मात्रक किसे कहते हैं Matrak kise kahate hain
किसी वस्तु / पिण्ड के मानक मापन की इकाई को मात्रक (Unit) कहते हैं ।
मापन के ज्ञान हेतु मात्रक या इकाई किसी भौतिक राशि या द्रव्य की एक निश्चित मात्रा या भाग होती है । यह कई भौतिकी में मापनों में मात्रकों की श्रेणी प्रचलित हैं ।
उदाहरण के रूप में देखें तो लंबाई भी भौतिकी की राशि है जिसका मात्रक मीटर है । जो की एक पूर्व में माप की निश्चित दूरी के बराबर मीटर होता हैं । जब भी हम 100 मीटर दूरी मापन करते है, तो हम अमुक दूरी 100 मीटर व्यक्त करते है । तो इसका मतलब है, की उक्त दूरी 1 मीटर के 100 गुना हैं ।
पहले समय ने कई अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग मात्रक प्रचलित होते थे, लेकिन जैसे ही विश्व में सहजता के माहोल उत्पन्न हुए। समय के साथ एक वैश्विक स्तर पर भी मात्रक के अस्तित्व उत्त्पन्न हुए, उन वैश्विक मात्रक को अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (S I मात्रक) कहते हैं ।
अंतरराष्ट्रीय पद्धति में प्रचलित सात मात्रक एवं दो पूरक मूल राशियों एवं उनके मात्रक नीचे तालिका में है –
क्र. | मूल राशियाँ | उनके मात्रक | संकेत |
1. | लंबाई | मीटर | m |
2. | द्रव्यमान | किलोग्राम | kg |
3. | समय | सेकण्ड | s |
4. | ताप | केल्विन | k |
5. | विद्युत धारा | ऐम्पीयर | A |
6. | ज्योति तीव्रता | कैण्डेला | cd |
7. | पदार्थ की मात्रा | मोल | mol |
क्र. | पूरक राशियाँ | उनके मात्रक | संकेत |
1. | समतल कोण | रेडियन | rad |
2. | घन कोण | स्टेरेडियन | sr |
संभवतः ऊपर अपने मुख्य मुख्य सात सात मात्रक एवं दो पूरक मात्रक के ज्ञान को ऊपर तालिका में पढ़ा । अब हम आपको मात्रकी से उत्तपन् होने वाले व्युत्पन्न मात्रक के बारे में बताते हैं ।
व्युत्पन्न मात्रक किसे कहते हैं Vyutpann matrak kise kahate hain
वे मात्रक, जो मूल मात्रकों की सहायता से ज्ञात किए जाते हैं, व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं । आपको बता दें को व्युत्पन्न मात्रक हमेश मूल मात्रकों पर निर्भर करते हैं ।
अन्य परिभाषा;
एक या एक से ज्यादा मूल मात्रकों पर उपयुक्त घातें लगाकर प्राप्त किए गए मात्रकों को, व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं ।
कुछ व्युत्पन्न मात्रक निम्न हैं-
उदाहरण: आयतन, क्षेत्रफल, चाल ।
मात्रक को पद्धतियां
भौतिक राशियों के मापन के लिए कुछ पद्धतियां नीचे दे रहे –
M. K. S. पद्धति
M.K.S. पद्धति में लंबाई का मात्रक मीटर , द्रव्यमान का किलोग्राम , तथा समय का सेकंड माना जाता है ।
C. G. S पद्धति
इसका पूरा नाम सेन्टीमीटर – ग्राम – सेकण्ड प्रणाली । इस पद्धति में लंबाई को सेन्टीमीटर में , द्रव्यमान को किलोग्राम तथा समय को सेकंड में व्यक्त किया जाता है ।
F. P. S. पद्धति
इसे फुट – पाउण्ड – सेकंड पद्धति भी कहा जाता है । यह मापन की फ्रांसिसी पद्धति है । इसमें लंबाई को फुट , द्रव्यमान को पाउण्ड तथा समय को सेकंड में व्यक्त किया जाता है ।
S.I. पद्धति (अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली)
इस पद्धति का जिक्र हम पहले ही लेख में ऊपर कर चुके है जिसमे प्रचलित सात मात्रक एवं दो पूरक मात्रक की तालिका भी देखे हैं । यह मापन की अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति है । वर्ष 1967 में अंतर्राष्ट्रीय माप – तौल के महाधिवेशन , पेरिश मे इस पद्धति को अस्तित्व में लाया गया । इसके बाद से अब तक यह पूरे विश्व भर में प्रचलित होकर विशेष मान्यता पा चुकी है ।
समापन शब्द; आज आपने मात्रक और व्युत्पन्न मात्रक को जाना एवं यह मुख्य लेख भौतिकी विज्ञान के विशेषता प्रदान करते हुए हैं । हम आप बताए की ये आप हमारे लेख को आप जैसे कई दोस्त पसंद कर रहे हैं , और हमें लिखकर भी बताते हैं । आप हमे सोशल मीडिया के माध्यम से फोलो कर सकते ।