गति किसे कहते हैं

गति क्या है यह भी जाएंगे लेकिन उसके साथ साथ आप इस पेज पर गति (Gati) के प्रकार, गति संबंधित अन्य परिभाषाएं एवं गति के नियमों को नीचे जानने वाले हैं .

किसी भी तथ्य को मिस ना करे हो सकता है वो आपको ज्ञान प्रदान कर सकें . हमारी टीम इस पेज को आने वाले समय में गति से रिलेटेड बहुत से अलग अलग लेख से लिंक करेगी जिससे आप उन तक पहुंच सकते हैं .

तो अब हम बिना समय गंवाए गति किसे कहते हैं Gati kise kahate hain के इस पेज को प्रारंभ करें .गति किसे कहते हैं Gati kise kahate hain

 

गति किसे कहते हैं | Gati kise kahate hain

यदि कोई वस्तु या पिंड अन्य वस्तुओं की मुकाबले समय के साथ अपना स्थान परिवर्तन कर रही है, तो वह वस्तु या पिंड गति कर रहा हैं . इसे गतिमान या motion अवस्था में कहते हैं .

सिंपल रूप से गति का मतलब – किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन को, गति कहते है .

गति (Motion) की परिभाषा; यदि कोई वस्तु अथवा पिण्ड अपनी स्थिति अपने चारों तरफ कि वस्तुओं की अपेक्षा बदलती रहती है, तो वह वस्तु या पिण्ड की इस स्थिति को गति कहते हैं . जैसे- पानी में चलती नाव, वायु में उडता हुआ पक्षी आदि .

गति से संबंध रखने वाली कुछ अन्य शब्दों की परिभाषाएं –

चाल ; किसी वस्तु द्वारा निश्चित समय में चली गई दूरी को चाल कहते हैं . चाल का सूत्र = दूरी / समय ; चाल का SI मात्रक मीटर/सैकंड हैं .

नियमित रूप से हर रोज के जीवन काल में शुद्ध गतिकी वस्तु की चाल इसके वेग का परिणाम (स्थिति में बदलाव) हैं . ये अदिश राशि है .

किसी वस्तु या पिण्ड द्वारा तय की गई कूप दूरी को समय से भजीत करने से मिला भागफाल मान, औसत चाल है . एवं औसत चाल की परिसीमा का मान जिसमे समय का अंतर शून्य की ओर अग्रसर हो, ताक्षणिक चाल हैं .

दूरी ; किसी भी दो पिंडो या वस्तुओं के मध्य में तय किए गए पथ को दूरी कहते हैं . किसी दिए हुए समय के अंतर में वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग की लंबाई को दूरी कहते हैं .

  • दूरी अदिश राशि है .
  • दूरी सदैव धनात्मक होती हैं .
  • दो वस्तुओं या बिंदुओ के मध्य का पथ की लंबाई का सांख्यिक मापन को दूरी बोलते हैं .
त्वरण ; किसी वस्तु के वेग मे परिवर्तन की दर, त्वरण हैं . सदिश राशि हैं .

  • इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड² (m/s ²) होता है .
  • यदि टाइम के साथ वस्तु का वेग घटता है, तो त्वरण ऋणात्मक होता है, जिसे मंदन कहते हैं .
वेग ; किसी वस्तु का वेग निर्देश तंत्र (विस्थापन की दर में) उसकी स्थिति में परिवर्तन की दर होती है, वेग कहते हैं . और यह समय का फलन होती हैं .

किसी वस्तु की चाल एवं गति की दिशा निर्देश तंत्र में, वेग के समान होती है (जैसे 27 किमी प्रति घण्टा पूर्व की तरफ) .

  • वेग एक सदिश राशि है .
  • जिसके हेतु परिमाण व दिशा दोनों की जरूरत पढ़ती है .
संवेग ; किसी वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग के गुणन को उस वस्तु का संवेग कहते हैं .

  • संवेग का सूत्र = वेग × द्रव्यमान ;
  • S.I. मात्रक किग्रा×मी/से (kg x m/s) हैं .
  • संवेग एक सदिश राशि / संरक्षित राशि है .
  • परिमाण होता है, और दिशा भी होती है .
  • चुकी संवेग एक संरक्षित राशि है
  • इसलिए किसी वियुक्त निकाय में संपूर्ण संवेग स्थिर रहता है .
विस्थापन ; एक निश्चित दिशा में दो वस्तुओं या पिंड के बीच की लंबवत दूरी, विस्थापन कहलाती है .

  • विस्थापन सदिश राशि है .
  • हमने ऊपर दूर के संबंध में बताया था की यह हमें धनात्मक होती है,
  • लेकिन विस्थापन के बारे में बता दें की यह धनात्मक , ऋणात्मक या शून्य हो सकता है .
  • इसका S . I . मात्रक मीटर हैं . विस्थापन को अंग्रेज़ी में Displacement कहते हैं .

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गति के प्रकार Type of speed in hindi

1. रैखिक गति ; जब भी कोई वस्तु या पिंड किसी सरल या / वक्रीय रेखा में गति करें, तो इस तरह की गति को रैखिक गति कहते है .
2. वृतीय गति ; जब भी कोई वस्तु या पिंड किसी वृताकार मार्ग पर गतिमान हो रही हो, तो इस तरह की गति को वृतीय गति कहते है .
3. दोलनी गति ; जब भी कोई वस्तु या पिंड किसी नियत बिंदु के आगे-पीछे / ऊपर-नीचे गति करें, तो इस तरह की गति को दोलनी गति कहते हैं .
4. आवर्त गति ; वैसी गति जिसमें कोई पिंड या वस्तु किसी नियत समय अंतराल के बाद दुहरावे , तो इस तरह की गति को आवर्त गति कहते है .
5. घूर्णन गति ; वैसी गति जिसमें कोई पिंडी किसी बिन्दु के चारों तरफ बिना स्थान परिवर्तन के घूमता हो, तो उस तरह की गति को घूर्णन गति कहते हैं .
6. अनियमित गति ; जब भी कोई वस्तु या पिंड अपनी गति की दिशा अनियमत रूप से टेढ़ी मेड़ी परिवर्तित होकर गति करें . तो इस तरह की गति को अनियमित गति बोलते हैं .

न्यूटन के गति नियम

न्यूटन (Newton) के गति नियम भौतिक नियम हैं जो को चिरसम्मत यांत्रिकी के आधार हैं .

यह नियम किसी वस्तु या पिंड पर लगने वाले बल और उससे उत्पन्न उस वस्तु या पिंड की गति के मध्य रिलेशन बताते हैं . न्यूटन के गति के तीनों नियम, संक्षेप में निम्न लिख रहे हैं-

प्रथम नियम ; प्रत्येक पिण्ड या वस्तु उस समय तक अपनी विरामावस्था में या सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है, जब तक कोई बाह्य बल परिवर्तन हेतु प्रेरित न करें .

द्वितीय नियम ; न्यूटन की गति का दूसरे नियम अनुसार
किसी भी वस्तु या पिंड की संवेग परिवर्तन की दर उस पर लगे बल के समानुपाती होती है . और उसकी ( संवेग परिवर्तन की ) दिशा वही होती है, जो बल की है .

तृतीय नियम ; प्रत्येक क्रिया की सदैव बराबर और विपरीत दिशा में, प्रतिक्रिया होती है . यह न्यूटन की गति का तीसरा नियम हैं .

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